सूरह अल-मुल्क (क़ुरआन का अध्याय 67), जिसे अक्सर “सार्वभौमिकता” (The Sovereignty) कहा जाता है, एक गहन अध्याय है जिसे इसकी आध्यात्मिक सुरक्षा और दिव्य ज्ञान के लिए सम्मान दिया जाता है। यह सूरह क़यामत के दिन अपने पाठक के लिए सिफ़ारिश करने और विश्वासियों को क़ब्र के अज़ाब से बचाने के लिए जानी जाती है, और लाखों लोगों के लिए यह रात का एक अहम हिस्सा है।
लेकिन इसकी बरकतों को पाने के लिए इसके संदेश को समझना ज़रूरी है। जो लोग अरबी नहीं जानते, उनके लिए इसका अर्थ समझना मात्र एक रस्मअदायगी से हटकर एक गहरी और भावनात्मक सोच में बदल सकता है।
और हमने नीचे वाले (पहले) आसमान को (तारों के) चिराग़ों से ज़ीनत दी है और हमने उनको शैतानों के मारने का आला बनाया और हमने उनके लिए दहकती हुई आग का अज़ाब तैयार कर रखा है
6. Wa lillazeena kafaroo bi rabbihim ‘azaabu jahannama wa bi’sal maseer
बल्कि गोया मारे जोश के फट पड़ेगी जब उसमें (उनका) कोई गिरोह डाला जाएगा तो उनसे दारोग़ए जहन्नुम पूछेगा क्या तुम्हारे पास कोई डराने वाला पैग़म्बर नहीं आया था
9. Qaaloo balaa qad jaaa’anaa nazeerun fakazzabnaa wa qulnaa maa nazzalal laahu min shai in in antum illaa fee dalaalin kabeer
वह कहेंगे हॉ हमारे पास डराने वाला तो ज़रूर आया था मगर हमने उसको झुठला दिया और कहा कि ख़ुदा ने तो कुछ नाज़िल ही नहीं किया तुम तो बड़ी (गहरी) गुमराही में (पड़े) हो
10. Wa qaaloo law kunnaa nasma’u awna’qilu maa kunnaa feee as haabis sa’eer
और फिर उसी की तरफ क़ब्र से उठ कर जाना है क्या तुम उस शख़्श से जो आसमान में (हुकूमत करता है) इस बात से बेख़ौफ़ हो कि तुमको ज़मीन में धॅसा दे फिर वह एकबारगी उलट पुलट करने लगे
17. Am amintum man fissamaaa’i ai yursila ‘alaikum haasiban fasata’lamoona kaifa nazeer
क्या उन लोगों ने अपने सरों पर चिड़ियों को उड़ते नहीं देखा जो परों को फैलाए रहती हैं और समेट लेती हैं कि ख़ुदा के सिवा उन्हें कोई रोके नहीं रह सकता बेशक वह हर चीज़ को देख रहा है
20. Amman haazal lazee huwa jundul lakum yansurukum min doonir rahmaan; inilkaafiroona illaa fee ghuroor
भला ख़ुदा के सिवा ऐसा कौन है जो तुम्हारी फ़ौज बनकर तुम्हारी मदद करे काफ़िर लोग तो धोखे ही (धोखे) में हैं भला ख़ुदा अगर अपनी (दी हुई) रोज़ी रोक ले तो कौन ऐसा है जो तुम्हें रिज़क़ दे
21. Amman haazal lazee yarzuqukum in amsaka rizqah; bal lajjoo fee ‘utuwwinw wa nufoor
तुम कह दो कि वही (ख़ुदा) बड़ा रहम करने वाला है जिस पर हम ईमान लाए हैं और हमने तो उसी पर भरोसा कर लिया है तो अनक़रीब ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि कौन सरीही गुमराही में (पड़ा) है
सार्वभौमिक मार्गदर्शन: भाषा की बाधाओं को तोड़कर इसकी सुरक्षा और नैतिक शिक्षाओं को वैश्विक रूप से फैलाता है।
शैक्षिक साधन: शिक्षकों, विद्यार्थियों और नए मुसलमानों को इसके संदेश को समझने, आत्म-विकास और शिक्षा में सहायता करता है।
निष्कर्ष
सूरह मुल्क एक दैवीय ढाल है, जो विश्वासियों को अल्लाह की बादशाहत को पहचानने, आख़िरत की तैयारी करने और नेक जीवन जीने की प्रेरणा देती है। इसका अनुवाद इन शाश्वत सच्चाइयों तक पहुँच को सरल बनाता है, जिससे दुनिया भर के मुसलमान इसके जीवन-परिवर्तनकारी संदेश से गहराई से जुड़ सकें। इसकी आयतों को समझकर, हम रात की तिलावत को मार्गदर्शन, सुरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति के स्रोत में बदल सकते हैं।
“कह दो, ‘वह अति दयालु है; हम उस पर ईमान लाए और उसी पर हमने भरोसा किया।'” (क़ुरआन 67:29)